केंद्र सरकार अब स्टेट हाईवे को नेशनल हाइवे (NH) में बदलने की रफ्तार कम करने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब हर सड़क को NH का दर्जा नहीं मिलेगा, बल्कि राज्य सरकारों को खुद अपने हाईवे सुधारने के लिए पैसे दिए जाएंगे।
नए मॉडल के तहत, अपग्रेड के बाद इन सड़कों की देख-रेख राज्य सरकारें करेंगी। केंद्र सरकार अब ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने पर फोकस करेगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी ने निर्देश हाल ही में ट्रांसपोर्ट मंत्रालय को जुलाई के अंत तक ऐसा मॉडल बनाने कहा है जिससे स्टेट हाईवे को NH डिक्लेयर करने की जरूरत ही कम हो। मंत्रालय को स्टेट हाईवे और छोटे पोर्ट्स को जोड़ने के लिए कहा गया है।
ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने पर फोकस करेगी सरकार
पिछले 11 साल में सरकार ने 55,000 किमी राज्य हाईवे को NH में बदला, जिससे अब नेशनल हाइवे की कुल लंबाई 1.46 लाख किमी हो गई है।
सरकार का मानना है कि नेटवर्क फैलाने के बजाय, मौजूदा हाईवे को चौड़ा और बेहतर बनाना ज्यादा जरूरी है। मार्च 2025 तक भारत में कुल सड़क नेटवर्क की लम्बाई 63 लाख किमी से ज्यादा हो चुका है।
राज्यों को मिला सकता है ज्यादा फंड
नए प्लान में राज्यों को अपने हाईवे सुधारने के लिए केंद्र से एकमुश्त फंड मिल सकता है। इससे वे अपनी जरूरत के हिसाब से सडकों को सुधार हैं।
अपग्रेड के बाद इन सड़कों की देखरेख और मेंटेनेंस भी राज्य सरकारें ही करेंगी, जिससे केंद्र सरकार लंबी दूरी की यात्रा के लिए सड़कें बनाने पर फोकस कर सकेगी।
पहले राज्य सरकारें भेजतीं थी NH का प्रस्ताव
पहले राज्य सरकारें अपनी अहम सड़कों को NH में बदलवाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजती थीं। केंद्र सरकार इन सड़कों की राष्ट्रीय महत्व, ट्रैफिक और कनेक्टिविटी के आधार पर जांच कर उन्हें NH घोषित करती थी। इसके बाद इन सड़कों की देखरेख और फंडिंग केंद्र सरकार के जिम्मे आ जाती थी।