केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग के कार्यक्रम में कहा- किसी भी भाषा का विरोध नहीं है। किसी विदेशी भाषा से भी कोई विरोध नहीं करना चाहिए। लेकिन आग्रह हमारी भाषा को बोलने, उसे सम्मान देने और हमारी भाषा में सोचने का होना चाहिए।
शाह ने आगे कहा- मैं मन से मानता हूं कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोध नहीं हो सकती। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं।
इससे पहले 19 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था- इस देश में जो लोग अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें जल्द ही शर्म आएगी। ऐसे समाज का निर्माण दूर नहीं है। अपना देश, अपनी संस्कृति, अपना इतिहास और अपने धर्म को समझने के लिए कोई भी विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं हो सकती।
अमित शाह के संबोधन की 4 मुख्य बातें…
- हमारी भाषाएं भारत को एकजुट करेंगी: पिछले कुछ दशकों में भाषा का इस्तेमाल भारत को बांटने के साधन के रूप में किया गया। वे इसे तोड़ नहीं पाए, लेकिन प्रयास किए गए। हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी भाषाएं भारत को एकजुट करने का सशक्त माध्यम बनें। इसके लिए राजभाषा विभाग काम करेगा।
- भारतीय भाषाओं का विकास करेंगे: मेरा मानना है कि PM मोदी के नेतृत्व में जो नींव रखी जा रही है, उससे 2047 में एक महान भारत का निर्माण होगा और महान भारत के निर्माण की राह पर हम अपनी भारतीय भाषाओं का विकास करेंगे। उन्हें समृद्ध बनाएंगे, उनकी उपयोगिता बढ़ाएंगे।
- सरकारी कामकाज में भारतीय भाषाओं का ज्यादा इस्तेमाल हो: भारतीय भाषाओं का सरकारी कामकाज में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होना चाहिए। सिर्फ केंद्र सरकार में बल्कि राज्य सरकार में भी। इसके लिए हम राज्यों से भी संपर्क करेंगे, उन्हें समझाने और राजी करने की कोशिश करेंगे।
- स्थानीय भाषाओं में मेडिकल-इजीनियरिंग की पढ़ाई: सभी राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में शुरू करें। केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों की हरसंभव मदद करेगी ताकि प्रशासनिक कामकाज और उच्च शिक्षा भारतीय भाषाओं में हो सके।
शाह बोले थे- 2047 तक हम दुनिया में टॉप पर होंगे
19 जून को शाह ने कहा था- अमृत काल के लिए पीएम मोदी ने पंच प्रण की नींव रखी है। पांच प्रतिज्ञाएं 130 करोड़ लोगों का संकल्प बन गई हैं। यही कारण है कि 2047 तक हम टॉप पर होंगे और हमारी भाषाएं इस यात्रा में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।
इन पांच प्रतिज्ञाओं में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना, गुलामी के हर निशान से छुटकारा पाना, अपनी विरासत पर गर्व करना, एकता और एकजुटता के लिए प्रतिबद्ध रहना और हर नागरिक में कर्तव्य की भावना जगाना शामिल है।