आईसीयू में पति के सामने पत्नी की बॉडी डोनेट:बगल वाले बेड से ब्रेनडेड पत्नी को मांग भरकर विदा किया; किडनी और आंखें दान
एक महिला के ब्रेन डेड होने के बाद उसकी दोनों किडनी और आंखें दान की गईं। इसके लिए इंदौर में शुक्रवार शाम को दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। दोनों किडनी अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ट्रांसप्लांट की गईं। यह इंदौर में बनाया गया 58वां ग्रीन कॉरिडोर था। यह अंगदान रुला देने वाला रहा।
दरअसल पति-पत्नी भाई दूज पर एक हादसे में घायल हो गए थे और हॉस्पिटल में पास-पास ही एडमिट थे। शुक्रवार को पति ने ब्रेन डेड पत्नी की किडनी और आंखें डोनेट करने की इच्छा जताई। साथ ही हॉस्पिटल में ही उसकी मांग पर सिंदूर भरकर आखिरी विदाई दी। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें डबडबा गईं।
एक्सीडेंट में घायल हुई महिला, बाद में हुआ ब्रेन डेड जिस महिला के अंगदान किए गए, उनका नाम मनीषा पति भूपेंद्र राठौर (44), निवासी शाजापुर है। 3 नवंबर को भाई दूज के दिन वे अपने पति के साथ इंदौर में रहने वाली ननद के यहां आईं थी। लौटते समय मक्सी रोड पर हुए हादसे में मनीषा गंभीर रूप से घायल हो गई थीं, जिसके बाद उन्हें सीएचएल अस्पताल में भर्ती किया गया।
यहां हालत बिगड़ती गई और 6 नवंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने 7 नवंबर को उन्हें विधिवत ब्रेन डेड घोषित किया।
आंखें नम कर देने वाली ये 3 तस्वीरें देखिए…
एक किडनी 5 मिनट तो दूसरी 7 मिनट में पहुंचाई गई ऑर्गन्स को-आर्डिनेटर जीतू बगानी और संदीपन आर्य ने बताया कि अंगदान का हर मामला चुनौतीपूर्ण होता है। इस मामले में 72 घंटे की कोशिश के बाद यह अंगदान हो पाया। इसमें सीएचएल हॉस्पिटल के सीईओ मनीष गुप्ता, डॉ. निखिलेश जैन और कोऑ़र्डिनेटर मनीषा बगानी ने परिजन की सहमति के बाद प्राथमिकता के आधार पर तैयारियां शुरू की।
पहला ग्रीन कॉरिडोर सीएचएल हॉस्पिटल से राजश्री अपोलो हॉस्पिटल तक बना। शुक्रवार शाम 6.45 बजे एम्बुलेंस से किडनी भेजी गई जो अपोलो राजश्री हॉस्पिटल में 6.52 बजे पहुंच गई। दूसरा कॉरिडोर भी 6.45 बजे सीएचएल हॉस्पिटल से बना और किडनी 6.50 बजे एमिनेंट हॉस्पिटल पहुंचा दी गई और ट्रांसप्लांट शुरू हो गया।
अंगदान जागरूकता के पोस्टर्स लगे, रथ में शवयात्रा शाजापुर में परिवार और समाज के लोग मनीषा के अंगदान से इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने शाजापुर में कई जगहों पर अंगदान जागरूकता के पोस्टर्स लगाए हैं और लोगों से अपील की है कि वे भी अंगदान के लिए आगे आएं। इसके साथ ही मनीषा की अंतिम यात्रा रथ में निकाली गई। यह यात्रा आदर्श कॉलोनी से शुरू हुई जो टंकी चौराहे होते हुए महुपुरा, सोमवारिया बाजार नई सड़क होते हुए श्मशान घाट पहुंचेगी। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं।
पति और बेटी ने कहा- अंगदान से बेहतर कुछ नहीं महिला के पति भूपेंद्र राठौर शिक्षक हैं, जबकि बेटी पुणे में एक आईटी कंपनी में काम करती है। दोनों का कहना है कि लगातार हो रहे अंगदान से प्रेरित होकर उन्होंने यह फैसला लिया। अंगदान से किसी को नया जीवन मिलना, इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। लोगों को इसके लिए आगे आना चाहिए।